Maulana Saad: जानिए- कौन हैं तब्लीगी जमात के 'अमीर' मौलाना साद

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Maulana Saad : दक्षिण दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी मरकज जमात के मुखिया मौलाना साद एक विलेन के तौर पर उभरकर सामने आए हैं। दरअसल, तब्लीगी मरकज जमात में हजारों की संख्या लोग जमा थे, लेकिन मौलाना साद ने गैरजिम्मेदाराना व्यवहार करते हुए इसकी जानकारी पुलिस और दिल्ली सरकार तक को नहीं दी। इस दौरान वह बेतुके बयान देता रहे, जिसका संबंध धर्म से तो कतई नहीं हो सकता है। इस बाबत मौलाना साद के कई आपत्तिजनक और भड़काने वाले बयान सामने आए हैं, वीडियो के जरिये वायरल हैं और वह भी बेहद खतरनाक। 
यहां पर बता दें कि कोरोना वायरस के बढ़ते खौफ के बीच धारा-144 लगने के बावजूद राजधानी में भीड़ जुटाने पर मौलाना साद के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने महामारी अधिनियम 1897 के साथ ही भारतीय दंड संहिता की अन्य कई धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। जानकारी मिली है कि मौलाना साद 28 मार्च से ही फरार हैं। आइये जानते हैं कि कौन हैं मौलाना साद, जिनकी दिल्ली पुलिस को तलाश है।
  • मौलाना साद का जन्म दिल्ली में 10 मई, 1965 में हुआ और उनके पिता का नाम मोहम्मद हारून है।
  • मौलाना साद का पूरा नाम मुहम्मद साद कंधालवी है।
  • वर्ष, 1927 में मौलाना साद के परदादा मौलाना इलियास कांधलवी ने तबलीगी जमात की स्थापना की थी। 

  • मौलाना इलियास कंधालवी उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कांधला के रहने वाले थे। यही वजह थी कि वह अपने नाम के आगे कांधलवी लगाते थे। इसके बाद आने वाली पीढ़ियों ने कांधलवी नाम के आगे कांधलवी लगाना शुरू दिया है। यह सिलसिला अब चौथी पीढ़ी में जारी है।
  • दरअसल, मौलाना इलियास के चौथी पीढ़ी से मौलाना साद आते हैं और पड़पोते हैं, जबकि मौलाना साद के दादा मौलाना यूसुफ थे। यूसुफ मौलाना इलियास के बेटे थे और उनके निधन के बाद अमीर बने थे।
  • साद कंधालवी ने हजरत निजामुद्दीन मरकज के मदरसा काशिफुल उलूम से 1987 में आलिम की डिग्री ली है।
  • साद तब्लीगी जमात के संस्थापक के पड़पोते हैं।
  • मौलाना साद खुद को तब्लीगी जमात के एकछत्र अमीर घोषित कर चुके हैं।
  • उत्तर प्रदेश इमाम संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मुफ्ती जुल्फिकार का कहना है कि मौलाना इलियास कांधलवी ने दिल्ली की बंगलावाली मस्जिद में इमाम करने के दौरान तब्लीगी जमात की स्थापना की थी।
  • बताया जाता है कि जून, 2016 में मौलाना साद और मौलाना मोहम्मद जुहैरुल हसन ने नेतृत्व वाले तब्लीगी जमात के दूसरे ग्रुप के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। इस दौरान पक्ष के लोगों ने एक दूसरे पर पथराव तक किया था और इसमें कई लोग घायल भी हुए थे। इस हादसे के बाद दोनों गुटों के बीच दूरी बढ़ गई जो अब भी जारी है।
  •  दारु उलूम देवबंद भी पिछले तीन साल से मौलाना साद से नाराज है और उसने इस बाबत साद के खिलाफ फतवा तक जारी किया था। फतवे के मुताबिक, मौलाना साद अपने ब्याख्यानों में कुरान की गलत व्याख्या करते हैं। 
1995 में बने तब्लीगी जमात के सर्वेसर्वा

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